UNSC में भारत का कड़ा रुख: ‘युद्धविराम हो और सभी बंधकों को रिहा किया जाए’; गाजा की स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था चरमराई

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने एक बार फिर मानवीय मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय शांति की मजबूती से पैरवी करते हुए गाजा पट्टी में जारी संकट पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। भारत ने साफ शब्दों में युद्धविराम की तत्काल आवश्यकता और सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की बात कही है। गाजा में जारी संघर्ष ने वहां की स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह चरमरा दिया है, जिससे आम नागरिक, खासकर महिलाएं और बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

भारत की भूमिका: तटस्थ लेकिन मानवीय

भारत की दो टूक नीति

भारत ने हमेशा मध्य-पूर्व में शांति की वकालत की है और इस बार भी UNSC में उसका रुख संतुलित लेकिन स्पष्ट रहा। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा:

“हम युद्धविराम का समर्थन करते हैं। सभी बंधकों को बिना शर्त रिहा किया जाना चाहिए और मानवीय सहायता तत्काल बहाल होनी चाहिए।”

मानवीय संकट पर चिंता

भारत ने गाजा में हो रहे विनाश पर गहरी चिंता जताई, खासकर वहां की स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा संस्थानों और नागरिक जीवन पर।

गाजा: युद्ध से तबाह होती ज़िंदगी

स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली

गाजा की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है:

  • 80% अस्पताल या तो नष्ट हो चुके हैं या बंद पड़े हैं
  • दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी
  • डॉक्टर और नर्स भी सुरक्षा कारणों से सेवाएं नहीं दे पा रहे

शिक्षा व्यवस्था पर असर

लगातार हमलों ने गाजा के स्कूलों और कॉलेजों को भी नहीं बख्शा:

  • 300+ स्कूल या तो पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त
  • लाखों बच्चे शिक्षा से वंचित
  • कई शिक्षण संस्थानों को अस्थायी राहत केंद्र में बदला गया

भारत की नीति: ‘दो-राष्ट्र समाधान’ का समर्थन

फिलिस्तीन-इस्राइल संघर्ष पर भारत का रुख

भारत ने दशकों से दो-राष्ट्र समाधान की नीति का समर्थन किया है, जहां इजराइल और फिलिस्तीन शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में रह सकें।

शांति प्रक्रिया की पुनः शुरुआत पर बल

भारत ने UNSC में कहा कि:

“शांति प्रक्रिया को पुनः शुरू किया जाना चाहिए और सभी संबंधित पक्षों को एक साथ बैठकर समाधान निकालना चाहिए।”

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: भारत की सराहना

वैश्विक स्तर पर भारत के रुख की सराहना

संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्य देशों ने भारत के संतुलित और मानवीय रुख की सराहना की:

  • फ्रांस और जर्मनी ने युद्धविराम की भारत की मांग का समर्थन किया
  • अमेरिका ने भी बंधकों की रिहाई पर सहमति जताई
  • मुस्लिम देशों ने भारत से फिलिस्तीन के पक्ष में और सक्रिय होने की अपील की

युद्धविराम और बंधकों की रिहाई क्यों ज़रूरी?

बंधकों की स्थिति गंभीर

हजारों नागरिकों को या तो बंधक बनाया गया है या वे लापता हैं। इनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। इनकी रिहाई मानवता का प्रश्न है।

युद्धविराम से ही मानवीय सहायता संभव

लगातार बमबारी और हमलों की स्थिति में:

  • राहत सामग्री पहुंचाना असंभव
  • अंतरराष्ट्रीय NGO गाजा में कार्य नहीं कर पा रहे
  • पीने का पानी, बिजली, और भोजन की भारी किल्लत

भारत की भूमिका: मध्यस्थता में आगे आने का अवसर?

क्या भारत मध्यस्थता कर सकता है?

भारत की गिनती अब वैश्विक शक्तियों में होती है और वह इजराइल और फिलिस्तीन दोनों से अच्छे संबंध रखता है। ऐसे में:

  • भारत एक मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है
  • उसे शांति वार्ता की पहल करनी चाहिए
  • विश्व में भारत की छवि एक जिम्मेदार राष्ट्र की बनी रहेगी

UNSC में भारत के प्रतिनिधि का बयान

प्रमुख बिंदु:

  • युद्धविराम की आवश्यकता
  • सभी बंधकों की रिहाई
  • मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति
  • स्कूल, अस्पताल और अन्य नागरिक सुविधाओं की रक्षा
  • दो-राष्ट्र समाधान की ओर बढ़ने की जरूरत

भारत का संदेश: शांति, सहयोग और मानवता

भारत ने केवल संघर्ष की निंदा ही नहीं की बल्कि व्यवहारिक समाधान भी प्रस्तुत किया:

  • सार्वजनिक संस्थानों को लक्षित हमले बंद हों
  • अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन हो
  • संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का सम्मान किया जाए

गाजा में मानवीय संकट: कुछ आंकड़े

क्षेत्रप्रभाव
अस्पताल80% से अधिक निष्क्रिय या नष्ट
स्कूल300+ से अधिक क्षतिग्रस्त या पूरी तरह ध्वस्त
मृत नागरिकअनुमानित 35,000 से अधिक
विस्थापित लोग10 लाख से अधिक लोग घर छोड़ने को मजबूर
बिजली आपूर्ति90% तक कटौती
पेयजल संकटगंभीर स्तर पर; गंदा पानी पीने को मजबूर

भारत का मानवीय दृष्टिकोण

भारत की सहायता पहल

भारत ने:

  • गाजा को मानवीय सहायता भेजी
  • WHO और UN राहत एजेंसियों को समर्थन दिया
  • मध्य-पूर्व में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का रुख न केवल संवेदनशील बल्कि दूरदर्शी और संतुलित था। युद्धविराम और बंधकों की रिहाई की मांग केवल राजनीतिक नहीं, मानवता का प्रश्न है। गाजा में स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सेवाएं नष्ट हो रही हैं और इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा। भारत की सक्रिय भूमिका, संतुलित दृष्टिकोण और मानवीय मूल्यों की प्रतिबद्धता इसे वैश्विक नेतृत्व की दिशा में मजबूती से आगे ले जाती है।


पूछे जाने वाले प्रश्न

1. भारत ने UNSC में गाजा को लेकर क्या कहा?

भारत ने युद्धविराम की तत्काल आवश्यकता और सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग की।

2. क्या भारत गाजा को मानवीय सहायता भेज रहा है?

हाँ, भारत ने WHO और अन्य एजेंसियों के माध्यम से सहायता भेजी है।

3. गाजा की स्वास्थ्य व्यवस्था किस स्थिति में है?

लगभग 80% अस्पताल निष्क्रिय हैं, दवाइयों और संसाधनों की भारी कमी है।

4. क्या भारत मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है?

भारत दोनों पक्षों से अच्छे संबंध रखता है, इसलिए वह एक संतुलित मध्यस्थ हो सकता है।

5. भारत की विदेश नीति गाजा मुद्दे पर कैसी रही है?

भारत हमेशा दो-राष्ट्र समाधान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति का समर्थन करता आया है।

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