PM Awas Yojana: शहरी क्षेत्रों में ऐसे परिवार जिन्हें अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के तहत पक्के घर नहीं मिल पाया है, उनके लिए भारत सरकार से अच्छी खबर है। जैसा कि प्रधान मंत्री आवास योजना-शहरी की समय सीमा अब बढ़ा दी गई है, कृपया शहरी आवास मंत्रालय द्वारा जारी इस अपडेट के बारे में विस्तार से जाने –
पीएम शहरी आवास योजना (PM Sahari Awas Yojana) में बढ़ाई गयी आवेदन सीमा –
जैसा कि आप जानते हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य विकलांग प्रत्येक गरीब परिवार के लिए आवास प्रदान करना है। क्योंकि सबको रोटी, कपड़ा और मकान सुखी जीवन की आवश्यकताएं हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना 25 जून, 2015 से देश में सक्रिय है। इस योजना के तहत मोदी सरकार ने 15 अगस्त 2022 तक देश के हर परिवार के पास पक्की छत सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है।
हालांकि, सरकार का यह वादा योजना के मुताबिक पूरा नहीं किया गया, जिसके चलते प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना को 2022 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 तक कर दिया गया, यानी योग्य परिवार अब भी आवेदन CLICK HERE सकेंगे।
PMAY का लक्ष्य 2022 तक क्यों पूरा नहीं हो सका?
सरकार के पास 75वें स्वतंत्रता दिवस तक आवास योजना के लक्ष्य को हासिल न करने के कई बहाने हो सकते हैं। जिसे आम जनता बढ़ती महंगाई के इस दौर में अच्छी तरह से जानती है। इसके कई संभावित कारण भी हो सकते हैं –
- कोरोना महामारी के कारण योजना
- PMAY के तहत, परिवारों के Registration में अफसरों की लापरवाही
- Office द्वारा फण्ड Transfer में देरी
पीएम शहरी आवास योजना (PMAY-U) कैसे काम करती है
शहरी क्षेत्रों में रहने वाले स्थायी निवासियों के लिए, एक Survey और पात्रता मूल्यांकन के आधार पर लाभ प्रदान किए जाते हैं। राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र नोडल एजेंसियां, स्थानीय निकाय समितियां (ULB), कार्यकारी एजेंसियां (IA), केंद्रीय नोडल एजेंसियां (CNA) और प्राथमिक ऋणदाता संस्थान (PLI) आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आवास योजना के अनुसार बनाए गए घरों में उपलब्ध सुविधाएँ –
भारत सरकार के अनुसार, लाभार्थियों के लिए जो घर बनाए जा रहे हैं, उनमें बुनियादी जरूरतों के अनुसार सभी सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।
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- घरों में शौचालय,
- जल आपूर्ति
- बिजली और रसोई जैसी सुविधाएं
- एक महिला सदस्य के नाम पर या एक संयुक्त नाम में स्वामित्व दस्तावेज
- विकलांग व्यक्तियों, बुजुर्गों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यकों, एकल महिलाओं, ट्रांसजेंडर लोगों और समाज के अन्य कमजोर और कमजोर वर्गों को भी प्राथमिकता दी जाती है।