आज, 11 अगस्त 2025 को संसद का नज़ारा कुछ अलग होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में नया आयकर विधेयक (Income Tax Bill, 2025) पेश करेंगी। यह बिल न केवल कर स्लैब और छूट में बदलाव लाएगा, बल्कि पूरी कर संरचना की भाषा, प्रक्रिया और नियमों को सरल करेगा।
यह विधेयक एक तरह से पुराने Income Tax Act, 1961 का बड़ा पुनर्लेखन (rewrite) है—यानी सिर्फ मामूली संशोधन नहीं, बल्कि पूरी तरह से नया रूप। फरवरी 2025 में इसका एक प्रारूप पेश किया गया था, लेकिन 285 सुझावों के बाद उसे वापस लेकर अब संशोधित संस्करण पेश किया जा रहा है।
सरकार का दावा है कि नया कानून कर प्रणाली को 50% तक सरल करेगा, मध्यम वर्ग, पेंशनरों, MSMEs और छोटे व्यापारियों के लिए राहत लाएगा, और साथ ही कर अनुपालन को आसान बनाएगा।
नए विधेयक के पीछे की पृष्ठभूमि
भारत का वर्तमान आयकर कानून 1961 से लागू है। बीते छह दशकों में इसमें सैकड़ों संशोधन हो चुके हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि कानून जटिल, लंबा और आम करदाताओं के लिए समझना मुश्किल हो गया।
वर्तमान स्थिति: पुराना कानून 819 धाराओं और 40 से ज्यादा अध्यायों में बंटा है।
समस्या: कानूनी भाषा भारी-भरकम, कई प्रावधान आपस में टकराने वाले, और समय के साथ अप्रासंगिक हो गए।
उद्देश्य: एक ऐसा नया कानून लाना जो आधुनिक जरूरतों के अनुसार हो, डिजिटल युग के अनुकूल हो और “भरोसे पर आधारित” कर प्रणाली का निर्माण करे।
फरवरी में पेश हुए पहले ड्राफ्ट पर संसद की चयन समिति ने 285 सुझाव दिए—इन्हें सरकार ने लगभग पूरी तरह स्वीकार कर लिया है।
मुख्य बदलाव और लाभ
- 285 सिफारिशों का समावेश
सरकार ने चयन समिति की सभी प्रमुख सिफ़ारिशों को बिल में शामिल किया है। इनमें करदाताओं के हित, MSME सेक्टर को राहत, पेंशन टैक्स में समानता, और संपत्ति कर पर अनावश्यक बोझ हटाना शामिल है। - भाषा और संरचना में सरलता
पुरानी 819 धाराओं को घटाकर 536 धाराएँ कर दी गई हैं।
अध्यायों की संख्या 40+ से घटाकर 23 कर दी गई है।
कानूनी भाषा में जटिल शब्द हटाकर सीधी और स्पष्ट शब्दावली अपनाई गई है।
यह बदलाव सिर्फ कानूनी पढ़ाई करने वालों के लिए नहीं, बल्कि आम करदाताओं और छोटे व्यापारियों के लिए भी फायदेमंद है।
- टैक्स स्लैब में बदलाव
आय सीमा (₹) कर दर
0–4 लाख 0%
4–8 लाख 5%
8–12 लाख 10%
12–16 लाख 15%
16–20 लाख 20%
20–24 लाख 25%
24 लाख से ऊपर 30%
₹12 लाख तक की आय पर पूर्ण छूट।
सेक्शन 87A के तहत रिबेट बढ़ाकर ₹60,000।
पुराने स्लैब की तुलना में यह अधिक प्रगतिशील है—कम आय वालों पर कम बोझ, अधिक आय वालों से ज्यादा योगदान।
- ‘Tax Year’ की नई परिभाषा
Assessment Year और Previous Year जैसे भ्रमित करने वाले शब्द हटाकर केवल Tax Year की अवधारणा लाई जाएगी, जिससे कर निर्धारण और फाइलिंग का कैलेंडर सरल होगा। - पेंशन टैक्स में समानता
सरकारी व निजी—दोनों प्रकार की पेंशन योजनाओं के लिए एक समान टैक्स नियम।
स्व-निवेशक और फ्रीलांसर भी एकमुश्त पेंशन निकासी पर वही कर लाभ पाएंगे जो सरकारी कर्मचारी पाते थे।
- भरोसेमंद करदाताओं के लिए दंड माफी
यदि कोई त्रुटि जानबूझकर नहीं की गई है, तो जुर्माना नहीं लगेगा। यह कदम ईमानदार करदाताओं को प्रोत्साहित करेगा। - TDS और ITR प्रक्रिया में सुधार
TDS रिफंड के लिए जटिल ITR की जरूरत नहीं होगी—सरल फॉर्म संभव।
शून्य TDS सर्टिफिकेट की सुविधा।
देर से रिटर्न भरने पर रिफंड रुकने की समस्या का समाधान।
विपक्ष और विशेषज्ञों की राय
विपक्ष की आलोचना
अल्पकालिक राहत: विपक्ष का कहना है कि स्लैब बदलाव तो अच्छा है, लेकिन महंगाई और वास्तविक क्रय शक्ति को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं।
राजस्व घाटा: सरकार के राजस्व पर असर पड़ सकता है, जिससे सामाजिक योजनाओं पर फंडिंग प्रभावित हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय
पॉजिटिव रिफॉर्म: टैक्स लॉ में बड़े बदलाव हमेशा आसान नहीं होते, लेकिन यह एक सही दिशा है।
लॉन्ग-टर्म बेनिफिट: सरल भाषा और पारदर्शिता से अनुपालन बढ़ेगा, जिससे राजस्व का नुकसान नहीं बल्कि बढ़ोतरी संभव है।
आर्थिक असर
मध्यम वर्ग पर प्रभाव
₹12 लाख तक आय पर छूट और रिबेट से लगभग 6 करोड़ करदाताओं को फायदा हो सकता है।
MSME सेक्टर
कर दरों और TDS प्रक्रिया में सरलता से छोटे और मध्यम व्यवसायों का अनुपालन लागत घटेगा।
राजकोषीय संतुलन
शुरुआती साल में राजस्व में हल्की कमी हो सकती है, लेकिन डिजिटल अनुपालन और व्यापक कर आधार (tax base) से इसकी भरपाई होने की संभावना है।
आगे की प्रक्रिया
लोकसभा में पेश: आज बिल पेश होगा।
चर्चा और पारित: लोकसभा में चर्चा के बाद मतदान।
राज्यसभा में विचार: इसके बाद राज्यसभा में पेश और बहस।
राष्ट्रपति की मंजूरी: पारित होने पर राष्ट्रपति की स्वीकृति।
कार्यान्वयन: 1 अप्रैल 2026 से लागू होने की संभावना।
निष्कर्ष
नया आयकर विधेयक भारत की कर प्रणाली को आधुनिक बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल करदाताओं के लिए राहत का पैकेज है बल्कि कर कानून की पारदर्शिता, सादगी और निष्पक्षता की दिशा में एक ठोस सुधार भी है।
यदि यह विधेयक अपने मौजूदा स्वरूप में पारित होता है, तो आने वाले वर्षों में भारत के कर ढांचे पर इसका दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
- नया आयकर विधेयक पुराने कानून से कैसे अलग है?
यह पूरी तरह नया ड्राफ्ट है जिसमें भाषा सरल की गई है, धाराएँ घटाई गई हैं, और कर संरचना को पारदर्शी बनाया गया है। - ₹12 लाख तक टैक्स छूट का क्या मतलब है?
इसका मतलब है कि यदि आपकी वार्षिक आय ₹12 लाख या उससे कम है तो आप पर आयकर नहीं लगेगा, बशर्ते आप रिबेट और अन्य शर्तें पूरी करते हों। - पेंशन टैक्स में क्या बदलाव है?
अब सरकारी और निजी—दोनों प्रकार की पेंशन योजनाओं के लिए एक जैसे टैक्स लाभ होंगे। - क्या TDS प्रक्रिया में बदलाव सभी पर लागू होंगे?
हाँ, यह बदलाव सभी करदाताओं पर लागू होंगे, खासकर छोटे व्यापारियों और पेशेवरों के लिए यह लाभकारी है। - नया कानून कब से लागू होगा?
संभावना है कि यह 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा, बशर्ते संसद में पारित हो और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाए।