Karnataka में जनवरी से अगस्त 2025 के बीच कुत्तों द्वारा काटे जाने के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में लगभग 2.86 लाख लोग कुत्तों के हमलों का शिकार बने। यह आंकड़ा न केवल राज्य में आवारा और पालतू कुत्तों के प्रबंधन की चुनौतियों को दर्शाता है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए एक बड़ी चेतावनी भी है।
कुत्तों के काटने से केवल शारीरिक चोट ही नहीं होती, बल्कि रेबीज़ जैसी घातक बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। खासकर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में यह समस्या गंभीर रूप से उभर रही है।
Karnataka में कुत्तों के हमलों में वृद्धि के प्रमुख कारण
- आवारा कुत्तों की संख्या में इजाफा
Karnataka के शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कचरे की आसान उपलब्धता और भोजन के स्रोतों ने आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ा दी है। - नसबंदी और टीकाकरण की कमी
राज्य के कई हिस्सों में Animal Birth Control (ABC) कार्यक्रम पूरी तरह प्रभावी नहीं है, जिससे कुत्तों की संख्या नियंत्रण में नहीं आ रही और उनका व्यवहार भी आक्रामक हो रहा है। - इंसानों के साथ नकारात्मक अनुभव
कभी-कभी लोगों द्वारा कुत्तों के साथ मारपीट या दुर्व्यवहार उन्हें और भी ज्यादा आक्रामक बना देता है। - प्रजनन काल में आक्रामकता
प्रजनन के मौसम में नर कुत्तों में आक्रामक प्रवृत्ति अधिक देखने को मिलती है, जिससे वे इंसानों और अन्य जानवरों पर हमला कर सकते हैं।
Karnataka के प्रभावित क्षेत्र
शहरी इलाके
बेंगलुरु, मैसूर, मंगलुरु जैसे बड़े शहरों में कुत्तों के काटने के मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए गए। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं:
जनसंख्या घनत्व
सड़क किनारे फैला कचरा
भोजन के आसान स्रोत
ग्रामीण इलाके
गांवों में पालतू और चरवाहा कुत्तों द्वारा काटने के मामले अधिक हैं, खासकर तब जब उनका टीकाकरण नहीं हुआ हो।
Karnataka में स्वास्थ्य पर असर
रेबीज़ का खतरा
रेबीज़ एक जानलेवा बीमारी है, और Karnataka में हर साल इसके कई मामले सामने आते हैं। कुत्तों के काटने से इसका संक्रमण तेजी से फैल सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
कुत्तों के हमले के बाद खासकर बच्चों में लंबे समय तक डर और चिंता का असर रहता है, जिससे उनका सामाजिक व्यवहार प्रभावित हो सकता है।
Karnataka सरकार और NGOs के कदम
सरकारी पहल
Animal Birth Control Program को और तेज़ी से लागू करना
रेबीज़ टीकों की पर्याप्त उपलब्धता
शहरी निकायों को आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए बजट आवंटन
NGO की भूमिका
राज्यभर में नसबंदी और टीकाकरण अभियान
लोगों को कुत्तों के साथ सुरक्षित व्यवहार के लिए जागरूक करना
Karnataka में रोकथाम के उपाय
व्यक्तिगत स्तर पर
बच्चों को सिखाएं कि वे अजनबी कुत्तों के पास न जाएं
कुत्तों को खाने के समय परेशान न करें
घायल या बीमार कुत्तों से दूरी बनाए रखें
सामुदायिक स्तर पर
मोहल्लों में साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन
आवारा कुत्तों की सामूहिक नसबंदी और टीकाकरण
अगर Karnataka में कुत्ता काट ले तो क्या करें?
तात्कालिक कदम
घाव को तुरंत साबुन और पानी से कम से कम 15 मिनट तक धोएं।
एंटीसेप्टिक जैसे पोविडोन-आयोडीन लगाएं।
तुरंत नज़दीकी अस्पताल जाकर रेबीज़ और टिटनेस का टीका लगवाएं।
क्या न करें
घाव पर मिट्टी या गंदा कपड़ा न लगाएं
इलाज में देरी न करें
Karnataka में सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता
कुत्तों के काटने की समस्या को हल करने के लिए केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। स्थानीय समुदायों को भी आगे आना होगा। लोगों को यह समझना चाहिए कि आवारा कुत्तों के साथ दुर्व्यवहार समस्या को और बढ़ा सकता है। इसके बजाय नसबंदी, टीकाकरण और भोजन की व्यवस्थित व्यवस्था से ही इस खतरे को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष
जनवरी से अगस्त 2025 के बीच Karnataka में 2.86 लाख लोगों के कुत्तों के काटने का शिकार बनने का आंकड़ा चिंताजनक है। यह समस्या केवल स्वास्थ्य विभाग या नगरपालिका की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। यदि नसबंदी, टीकाकरण, कचरा प्रबंधन और जागरूकता जैसे उपाय तुरंत और प्रभावी रूप से लागू किए जाएं, तो आने वाले वर्षों में इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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FAQs
Q1. Karnataka में कुत्ते के काटने के बाद पहला कदम क्या होना चाहिए?
घाव को तुरंत साबुन और पानी से कम से कम 15 मिनट धोएं और डॉक्टर से संपर्क करें।
Q2. क्या Karnataka के सभी कुत्तों में रेबीज़ का खतरा होता है?
नहीं, लेकिन चूंकि यह पता लगाना मुश्किल है, इसलिए हर मामले में सावधानी बरतना जरूरी है।
Q3. क्या Karnataka में आवारा कुत्तों को मारना समाधान है?
नहीं, WHO भी नसबंदी और टीकाकरण को ही स्थायी समाधान मानता है।
Q4. क्या Karnataka में पालतू कुत्तों से भी रेबीज़ फैल सकता है?
हाँ, अगर उनका समय पर टीकाकरण नहीं हुआ है तो वे भी संक्रमित हो सकते हैं।
Q5. Karnataka में सबसे ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले कहाँ होते हैं?
बेंगलुरु, मैसूर और मंगलुरु जैसे बड़े शहरों में सबसे ज्यादा मामले दर्ज होते हैं।