RBI Governor On MPC: रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति पर किए अहम ऐलान, गवर्नर संजय मल्होत्रा ने साझा की विस्तृत जानकारी

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क्या है MPC और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) भारत की आर्थिक दिशा तय करने वाली एक प्रमुख संस्था है। हर दो महीने में होने वाली इस बैठक में ब्याज दरों, मुद्रास्फीति, तरलता और आर्थिक विकास से जुड़े कई अहम निर्णय लिए जाते हैं।

RBI Governor On MPC इस बार सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 6 अगस्त 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कई बड़े मौद्रिक फैसलों की घोषणा की।

मौद्रिक नीति समिति की बैठक: प्रमुख बिंदु

बैठक कब और क्यों हुई?

RBI की मौद्रिक नीति समिति की यह बैठक 4 अगस्त से 6 अगस्त 2025 तक हुई, जिसका उद्देश्य देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति का आंकलन करना और आवश्यक मौद्रिक फैसले लेना था।

RBI Governor On MPC: गवर्नर संजय मल्होत्रा का बयान

गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा:

“हमने मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण सफलता पाई है, लेकिन अभी हमें सतर्क रहने की जरूरत है। हमारी नीति का उद्देश्य स्थिरता और विकास के बीच संतुलन बनाए रखना है।”

RBI Governor On MPC: लिए गए प्रमुख फैसले

1. रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

इस बार की बैठक में रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखा गया है। जून 2025 में ही 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो चुकी थी, इसलिए RBI ने फिलहाल इसे स्थिर रखने का फैसला किया।

2. नीति रुख (Policy Stance) – ‘Neutral’

RBI ने अपने नीति रुख को ‘न्यूट्रल’ बनाए रखा है। इसका मतलब है कि RBI अब डेटा के आधार पर भविष्य में दरें बढ़ा भी सकता है, घटा भी सकता है, या स्थिर भी रख सकता है।

3. महंगाई (Inflation) पर नजर

CPI आधारित मुद्रास्फीति 4% के लक्ष्य के आसपास बनी हुई है। इस साल के लिए इसे 3.4% से 3.5% के बीच रहने का अनुमान है।

4. GDP ग्रोथ अनुमान

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए FY26 में 6.5% की GDP ग्रोथ का अनुमान रखा गया है। RBI को उम्मीद है कि निवेश और खपत में सुधार से विकास दर में मजबूती आएगी।

5. CRR और SLR यथावत

इस बैठक में Cash Reserve Ratio (CRR) और Statutory Liquidity Ratio (SLR) में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

आम आदमी और बाज़ारों पर प्रभाव

1. लोन और EMI पर असर

चूंकि रेपो रेट में बदलाव नहीं किया गया है, इसका मतलब है कि मौजूदा ब्याज दरों पर होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की EMI यथावत रहेगी। हालांकि, जून में की गई कटौती का फायदा अभी धीरे-धीरे ग्राहकों तक पहुंच रहा है।

2. निवेशकों के लिए संकेत

RBI Governor On MPC ने यह स्पष्ट किया है कि निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त तरलता मौजूद है। इससे शेयर बाजारों में स्थिरता आ सकती है।

3. बैंकों की भूमिका

बैंकों को अब ब्याज दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे क्रेडिट ग्रोथ को भी गति मिल सकती है।

मौद्रिक नीति और वैश्विक परिप्रेक्ष्य

1. अमेरिकी टैरिफ और व्यापार तनाव

हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए नए टैरिफ से व्यापारिक अस्थिरता बढ़ी है। RBI ने इस वैश्विक जोखिम को ध्यान में रखते हुए नीति रुख में सतर्कता बरती है।

2. कच्चे तेल की कीमतें

अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भी मुद्रास्फीति पर दबाव बना सकती हैं। हालांकि, फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।

विशेषज्ञों की राय

  • वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि RBI ने संतुलित फैसला लिया है।
  • बैंकिंग क्षेत्र को उम्मीद है कि आगे चलकर एक और दर कटौती हो सकती है, यदि मुद्रास्फीति लक्ष्य के भीतर रहती है।
  • निवेश सलाहकारों का मानना है कि नीति में स्थिरता से बाजार में सकारात्मकता बनी रहेगी।

भविष्य की नीति दिशा

RBI Governor On MPC ने स्पष्ट किया कि:

  • अगली बैठक में यदि डेटा अनुकूल रहा तो 25 बेसिस पॉइंट की और कटौती की जा सकती है।
  • खाद्य महंगाई और मानसून के प्रभावों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
  • बैंकों को सलाह दी गई है कि वे क्रेडिट ट्रांसमिशन (Rate Cut Benefit) को ग्राहकों तक पहुँचाएँ।

निष्कर्ष

RBI Governor On MPC ने एक स्पष्ट, संतुलित और सतर्क नीति का ऐलान किया है। जहां एक तरफ रेपो रेट को स्थिर रखा गया है, वहीं दूसरी तरफ मुद्रा स्थिरता और आर्थिक विकास दोनों को ध्यान में रखते हुए ‘न्यूट्रल’ नीति रुख अपनाया गया है।

यह नीति आम जनता, बैंकिंग सिस्टम और निवेशकों सभी के लिए स्थिरता और संभावनाओं का संकेत देती है। आने वाले महीनों में यदि वैश्विक आर्थिक दबाव कम हुए और मुद्रास्फीति नियंत्रित रही, तो एक और ब्याज दर कटौती संभव है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. RBI की MPC बैठक कितनी बार होती है?

उत्तर: RBI की मौद्रिक नीति समिति हर दो महीने में बैठक करती है, यानी साल में कुल 6 बार।

2. रेपो रेट क्या होता है?

उत्तर: रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। इस दर में बदलाव से लोन और EMI पर सीधा असर पड़ता है।

3. न्यूट्रल नीति रुख का क्या मतलब होता है?

उत्तर: इसका मतलब है कि RBI अब आगे की नीति में कटौती, बढ़ोतरी या स्थिरता – कोई भी निर्णय डेटा के आधार पर ले सकता है।

4. इस बार RBI ने कौन-कौन से फैसले लिए?

उत्तर: रेपो रेट 5.50% पर स्थिर, नीति रुख न्यूट्रल, महंगाई अनुमान 3.5% और GDP ग्रोथ 6.5% रखा गया है।

5. क्या भविष्य में ब्याज दर घट सकती है?

उत्तर: हां, यदि मुद्रास्फीति नियंत्रित रहती है और वैश्विक परिस्थितियाँ अनुकूल होती हैं, तो आगे चलकर RBI एक और दर कटौती कर सकता है।

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