शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक राजनय का एक नया अध्याय जुड़ा जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब भारत और चीन के संबंधों में सीमा विवाद और रणनीतिक तनाव के कारण गत वर्षों में ठंडक आ गई थी। इस बैठक ने दोनों देशों के बीच संवाद की संभावनाओं को नया आयाम दिया है।
SCO सम्मेलन 2025: वैश्विक मंच पर भारत और चीन आमने-सामने
शंघाई सहयोग संगठन क्या है?
शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation – SCO) एक क्षेत्रीय बहुपक्षीय संगठन है, जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी। इसमें चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देश शामिल हैं। यह संगठन सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए कार्य करता है।
इस बार का SCO सम्मेलन कहाँ हुआ?
2025 का SCO सम्मेलन कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में आयोजित किया गया, जहां कई सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और विदेश मंत्रियों ने भाग लिया। भारत की ओर से इस सम्मेलन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रतिनिधित्व किया।
जयशंकर-शी जिनपिंग की मुलाकात: एक प्रतीकात्मक क्षण
बैठक की पृष्ठभूमि
भारत और चीन के बीच 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में खटास आई थी। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बावजूद, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बना हुआ है। ऐसे में एससीओ सम्मेलन के मंच पर यह मुलाकात काफी प्रतीकात्मक और रणनीतिक मानी जा रही है।
बातचीत में क्या रहा केंद्रबिंदु?
हालांकि बैठक का विवरण औपचारिक रूप से साझा नहीं किया गया, लेकिन सूत्रों के अनुसार बातचीत में निम्नलिखित मुद्दे चर्चा में रहे:
एलएसी पर तनाव को कम करने के प्रयास
आर्थिक साझेदारी की संभावनाएं
क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद का मुकाबला
ब्रिक्स और एससीओ में सहयोग
वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में सहयोग की आवश्यकता
भारत और चीन: संबंधों की वर्तमान स्थिति
सीमा विवाद: सबसे बड़ा बाधक
2020 के बाद से भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बना हुआ है। पैंगोंग झील, देपसांग और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स जैसे क्षेत्रों में अब भी तनाव की स्थिति बनी हुई है।
व्यापारिक संबंधों में निरंतरता
सीमा तनाव के बावजूद भारत-चीन का व्यापार लगातार बढ़ा है। 2024 में द्विपक्षीय व्यापार ₹9 लाख करोड़ के करीब रहा, हालांकि भारत का व्यापार घाटा अभी भी बड़ा मुद्दा है।
कूटनीतिक संवाद की निरंतरता
दोनों देश लगातार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ता करते रहे हैं। रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री स्तर की बातचीत समय-समय पर होती रही है।
जयशंकर की कूटनीति: संयम और स्पष्टता
भारत की स्पष्ट नीति
एस. जयशंकर ने बार-बार कहा है कि भारत चीन के साथ सामान्य संबंध तभी चाहता है जब सीमा पर शांति और स्थिरता बनी रहे। उनका रुख रहा है कि व्यापार और सामान्य द्विपक्षीय रिश्तों को सीमा विवाद से अलग नहीं किया जा सकता।
जयशंकर की भेंटों का उद्देश्य
SCO सम्मेलन में एस. जयशंकर ने न सिर्फ शी जिनपिंग से मुलाकात की बल्कि रूस, ईरान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान जैसे देशों के विदेश मंत्रियों से भी चर्चा की। इन भेंटों का उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और बहुपक्षीय संवाद को मजबूती देना था।
चीन की रणनीति: परोक्ष संपर्क और संतुलन
शी जिनपिंग का रुख
चीन की ओर से शी जिनपिंग ने SCO मंच पर “बहुपक्षीयता, समावेशी विकास और संयुक्त सुरक्षा” की बात की। उन्होंने क्षेत्रीय देशों से आपसी विश्वास और सहयोग की अपील की।
भारत-चीन संबंधों पर चीन का रुख
चीन लंबे समय से भारत के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के पक्ष में है, लेकिन सीमा विवाद के सवाल पर उसका रुख अस्पष्ट और जटिल बना हुआ है।
वैश्विक संदर्भ: SCO में भारत की भूमिका
भारत की बढ़ती वैश्विक पहचान
भारत अब वैश्विक मंचों पर नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहा है — चाहे वह G20 की अध्यक्षता हो या वैश्विक दक्षिण (Global South) का प्रतिनिधित्व। SCO जैसे मंचों पर भारत की सक्रियता उसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।
भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएँ
भारत SCO का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए करता है:
मध्य एशिया के साथ संबंधों को सुदृढ़ करना
आतंकवाद और कट्टरवाद से लड़ने के लिए सहयोग
ऊर्जा और कनेक्टिविटी परियोजनाओं में साझेदारी
चीन और पाकिस्तान को संतुलित करना
कूटनीति का नया अध्याय: आगे क्या?
द्विपक्षीय वार्ता की संभावनाएं
जयशंकर और शी जिनपिंग की मुलाकात को आगे औपचारिक भारत-चीन वार्ता की दिशा में एक कदम माना जा सकता है। इससे शायद भविष्य में दोनों देशों के बीच वार्षिक शिखर वार्ता की पुनर्बहाली हो सके।
सीमाओं पर विश्वास बहाली की आवश्यकता
अगर दोनों देश एलएसी पर स्थायी समाधान निकाल पाते हैं, तो व्यापार, निवेश और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग की संभावना कई गुना बढ़ सकती है।
निष्कर्ष: संवाद की राह बनी, समाधान अब भी दूर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और शी जिनपिंग की SCO सम्मेलन के दौरान हुई भेंट राजनयिक संवाद के नए युग की शुरुआत का संकेत हो सकती है। हालांकि यह मुलाकात प्रतीकात्मक थी, लेकिन इसने दोनों देशों को यह संदेश दिया कि संवाद अब भी संभव है और आवश्यक भी। मगर स्थायी समाधान के लिए केवल मुलाकातें नहीं, मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और ठोस कार्रवाई की भी आवश्यकता होगी।
FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- एससीओ सम्मेलन 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व किसने किया?
भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने SCO सम्मेलन 2025 में भाग लिया और भारत का प्रतिनिधित्व किया। - जयशंकर और शी जिनपिंग की मुलाकात में क्या चर्चा हुई?
औपचारिक जानकारी नहीं दी गई, लेकिन सूत्रों के अनुसार सीमा तनाव, व्यापारिक संबंध और बहुपक्षीय सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा हुई। - क्या यह मुलाकात भारत-चीन संबंधों में सुधार का संकेत है?
यह एक प्रारंभिक संकेत है, लेकिन स्थायी सुधार के लिए और भी ठोस कूटनीतिक पहल जरूरी होंगी। - SCO सम्मेलन का भारत के लिए क्या महत्व है?
SCO भारत के लिए एक रणनीतिक मंच है जिससे उसे मध्य एशिया, रूस और चीन के साथ कूटनीतिक और आर्थिक संपर्क मजबूत करने में मदद मिलती है। - क्या भारत-चीन सीमा विवाद का समाधान निकट है?
फिलहाल कोई स्पष्ट समाधान नजर नहीं आता, लेकिन संवाद की प्रक्रिया जारी है और आशा की जा सकती है कि भविष्य में समाधान निकलेगा।