गलवान झड़प के पांच साल बाद पहली बार चीन पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर, उपराष्ट्रपति से की भेंट, कल SCO समिट में होंगे शामिल

भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर पांच साल बाद पहली बार चीन पहुंचे हैं। यह यात्रा 2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में आए तनाव के बीच बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जयशंकर की यह यात्रा शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के उद्देश्य से हो रही है, लेकिन इसकी राजनीतिक और कूटनीतिक गूंज बहुत गहरी है।

गलवान झड़प की पृष्ठभूमि
क्या हुआ था गलवान घाटी में?
15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे और चीन ने भी कई सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी, हालांकि उसने आधिकारिक संख्या नहीं बताई। यह घटना दोनों देशों के बीच दशकों में सबसे गंभीर टकरावों में से एक थी।

इसके बाद क्या बदला?
गलवान की झड़प के बाद भारत और चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ताएं हुईं, लेकिन विश्वास की खाई बनी रही। कई क्षेत्रों से सेनाएं पीछे हटीं, लेकिन टकराव की आशंका अभी भी बनी हुई है। व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों में भी यह घटना एक मोड़ साबित हुई।

जयशंकर की यात्रा के प्रमुख उद्देश्य
SCO समिट में भागीदारी
विदेश मंत्री जयशंकर की यात्रा का मुख्य उद्देश्य शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के शिखर सम्मेलन में भाग लेना है, जो बीजिंग में आयोजित हो रहा है। SCO एक बहुपक्षीय मंच है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान और मध्य एशियाई देशों की भागीदारी होती है। यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोध और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित है।

चीनी उपराष्ट्रपति से मुलाकात
जयशंकर ने बीजिंग पहुंचने के बाद चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। इस मुलाकात को दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बर्फ को पिघलाने की एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों, क्षेत्रीय स्थिरता और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

भारत-चीन संबंधों में यह यात्रा क्या बदलाव ला सकती है?
विश्वास बहाली की कोशिश
जयशंकर की यह यात्रा दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने और विश्वास बहाली की दिशा में एक कदम हो सकती है। हालांकि, भारत स्पष्ट कर चुका है कि जब तक सीमाओं पर स्थिति सामान्य नहीं होती, तब तक द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते।

आर्थिक सहयोग और व्यापार
कोविड-19 और सीमा विवादों के बावजूद भारत और चीन के बीच व्यापार संबंध जारी रहे हैं। जयशंकर की यात्रा से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संवाद फिर से तेज हो सकता है, खासकर जब दुनिया मंदी और आपूर्ति श्रृंखला संकट का सामना कर रही है।

रणनीतिक और सुरक्षा चिंताएं
भारत की स्पष्ट नीति
जयशंकर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत का रुख सीमाई सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर अडिग है। किसी भी प्रकार की समझौता नीति को भारत समर्थन नहीं देगा। उनकी यात्रा में यह संदेश चीनी नेतृत्व तक पहुंचाना प्रमुख उद्देश्य है।

चीन की भूमिका और सोच
चीन अभी भी LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर अपनी गतिविधियों से पीछे नहीं हटा है। ड्रैगन की आक्रामक नीति ने न केवल भारत बल्कि दक्षिण एशिया के अन्य देशों को भी सतर्क किया है। भारत इस संदर्भ में वैश्विक साझेदारियों को भी मजबूत कर रहा है।

SCO समिट: भारत की भूमिका
आतंकवाद के खिलाफ मुखर रुख
भारत ने हमेशा SCO मंच का उपयोग आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के लिए किया है। जयशंकर इस बार भी पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद, सीमा पार आतंकवाद और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत की चिंता जताएंगे।

कनेक्टिविटी और व्यापार
भारत ने हमेशा क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को प्राथमिकता दी है। हालांकि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर भारत का विरोध रहा है, फिर भी भारत वैकल्पिक मॉडल्स और सहयोग पर बल देता रहा है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका और पश्चिम की नजरें
भारत और चीन के संबंधों पर अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की भी नजर है, खासकर क्वाड जैसे मंचों के संदर्भ में। जयशंकर की चीन यात्रा इस दिशा में भी एक संदेश है कि भारत सामरिक रूप से संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक मंच
SCO समिट की चर्चा संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर भी होती है। ऐसे में जयशंकर की भागीदारी भारत की सक्रिय कूटनीतिक भूमिका को और मजबूत करती है।

मीडिया और राजनीतिक प्रतिक्रिया
भारतीय मीडिया का रुख
भारतीय मीडिया ने जयशंकर की इस यात्रा को “सावधानीभरा कूटनीतिक प्रयास” बताया है। यह माना जा रहा है कि भारत चीन को यह संदेश देना चाहता है कि बातचीत के रास्ते खुले हैं लेकिन शर्तें स्पष्ट हैं।

विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने सरकार से पारदर्शिता की मांग की है कि इस यात्रा में सीमा विवाद और गलवान के मुद्दे पर भारत का रुख क्या होगा। कुछ नेताओं ने यह भी पूछा है कि क्या सरकार चीन के साथ किसी समझौते की ओर बढ़ रही है।

विशेषज्ञों की राय
रणनीतिक विश्लेषकों की दृष्टि
विदेश नीति विशेषज्ञ मानते हैं कि जयशंकर की यह यात्रा एक “टेस्ट केस” है — क्या चीन वास्तव में रिश्ते सुधारना चाहता है, या यह सिर्फ SCO समिट की औपचारिकता भर है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भारत को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी प्रकार की जल्दबाजी से बचना चाहिए।

सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों की राय
सेना के पूर्व अधिकारियों ने इस यात्रा का स्वागत तो किया है लेकिन यह भी कहा है कि जब तक LAC पर शांति नहीं आती, तब तक भरोसा बनाना मुश्किल है। उनका मानना है कि बातचीत के साथ-साथ सैनिक तैयारियों में भी कोई ढील नहीं दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष
विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन यात्रा केवल एक शिखर सम्मेलन में भागीदारी भर नहीं है, बल्कि यह भारत की कूटनीतिक दिशा और रणनीतिक सोच का प्रतीक है। पांच साल पहले गलवान घाटी में जो खाई बनी थी, उसे पूरी तरह भरना आसान नहीं है। लेकिन इस यात्रा से यह संकेत अवश्य गया है कि भारत संवाद के लिए तैयार है, लेकिन आत्मसम्मान और सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। आने वाले दिनों में इस यात्रा के वास्तविक परिणाम सामने आएंगे — क्या यह विश्वास बहाली की शुरुआत होगी या एक और औपचारिकता?

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

  1. क्या जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा है?
    नहीं, जयशंकर इससे पहले भी चीन जा चुके हैं, लेकिन गलवान झड़प के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा है।
  2. क्या इस यात्रा में सीमा विवाद पर कोई हल निकलने की संभावना है?
    सीमा विवाद का समाधान इस यात्रा से निकलने की उम्मीद कम है, लेकिन बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में यह यात्रा सहायक हो सकती है।
  3. SCO समिट में भारत क्या मुद्दे उठा सकता है?
    भारत आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और व्यापारिक सहयोग जैसे मुद्दों पर अपनी बात रख सकता है।
  4. क्या चीन ने भारत के विदेश मंत्री को निमंत्रण दिया था?
    हां, SCO समिट के अंतर्गत सभी सदस्य देशों को औपचारिक निमंत्रण भेजा गया था, जिसमें भारत भी शामिल है।
  5. क्या भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता की कोई योजना है?
    फिलहाल SCO समिट के दौरान ही संवाद की संभावना है, लेकिन अलग से कोई द्विपक्षीय बैठक की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

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